मेरी सच्ची साथी! जैसा कि मैंने तुम्हें पहले भी बताया था कि मैं अपनी मां के ही मिडिल स्कूल में पढ़ रही थी और वही तक मैंने सातवीं तक की पढ़ाई की थी उसके बाद ही दूसरे स्कूल जो उस समय आठवीं से लेकर 10वीं तक होता था, उस हाई स्कूल में मेरा नामांकन कराया गया था। जब मैं अपनी मां के स्कूल में पढ़ रही थी उस समय का एक वाक्या ऐसा हुआ था जो आज भी मैं भूली नही हूॅं। जब भी स्कूल की बात होती है वह घटना मेरे आंखों के सामने आ ही जाता है और उसके ना भूलने के पीछे की वजह यह थी कि उस वक्त मुझे उस घटना के कुछ घंटों बाद ही बहुत बुरा लगा था।
मेरी सच्ची साथी! बचपन से ही खेलकूद में रुचि होने के कारण जो खेल मुझे पसंद थे वह लड़कों के खेल थे। लड़कियों की तरह बैठकर गोटी और कीत - कीत खेलना मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था। यही वजह थी कि मैं लड़कों के साथ क्रिकेट, गुल्ली -डंडा और बम पिट्टो का खेल खेलती थी। स्कूल में जब टिफिन होता था उस वक्त भी हम जल्दी-जल्दी अपना खाना खत्म कर खेलने की जल्दी में ही रहते थे।
मेरी सच्ची साथी! उस दिन भी टिफिन हुआ मैंने जल्दी से अपना खाना खत्म किया और खेलने के लिए पहुंच गई। हम लोग खेल रहे थे कि एक लड़के से गेंद को लेकर मेरा झगड़ा हो गया और तुम तो जानती ही हो कि मुझे पहले से ही थोड़ा सा इस बात पर घमंड था कि मेरी मां इस स्कूल में टीचर है तो मैं किसी को भी कुछ बोल सकती हूॅं और कर भी सकती हूॅं। मैं अपने साथ पढ़ने वाले बच्चों को भी इस बात पर धमका देती रहती थी कि मैं अपनी मां को कह दूंगी और वह तुम्हारी पिटाई करेंगी।
मेरी सच्ची साथी! जब उस लड़के से मेरी लड़ाई हुई उस समय मैंने उसे बहुत बोला और उसी गहमागहमी में उसने एक नुकीला पत्थर उठाया और मेरे आगे की तरफ से माथे पर मार दिया। पत्थर इतना नुकीला था कि मेरे माथे पर लगते ही उसने मेरे माथे से खून की बौछार शुरू करवा दी। मैं दौड़ते हुए अपनी मां के पास गई जो स्टाफ रूम में सब अध्यापकों के साथ बैठी हुई थी, वहीं पर कुसुम मैम भी थी जो मेरे गांव की ही थी और मुझसे बहुत प्यार भी करती थी उन्होंने जब मेरे माथे से खून निकलते हुए देखा उन्होंने पूछा कि जिसने तुम्हें मारा मैंने रोते हुए कुसुम मैम को उस लड़के का नाम बता दिया। मैम हाथ में छड़ी लिए उस लड़के की तरफ दौड़ कर गई और उस लड़की को उसी छड़ी से ही नहीं बल्कि और भी छड़ी मंगा कर बहुत पीटा।
मेरी सच्ची साथी! उसे पीटने के बाद जो दर्द हो रहा था उस दर्द को देखते हुए मुझे उसके लिए बहुत बुरा लग रहा था लेकिन फिर भी मेरे मारने के कारण उसे पिटाई लग रही थी, ये सोचकर दिल ही दिल में मैं खुश भी हो रही थी लेकिन बाद में जब मां ने मुझे एकांत में उस घटना के बारे में पूछा और मैंने सही- सही बताया। मेरी पूरी बात सुनने के बाद उन्होंने मुझे अपनी गलती का एहसास कराया तब जाकर मुझे उस लड़के के लिए बहुत बुरा लगा था।
मेरी सच्ची साथी! दूसरे दिन ही जाकर मैंने उस लड़के से अपनी गलती के लिए मां के कहने पर माफी भी मांगी थी लेकिन उस लड़के ने शायद! मुझे माफ नहीं किया था और कुछ दिनों के बाद ही वह उस स्कूल को छोड़कर चला गया। आज भी जब मैं उस घटना को याद करती हूॅं तो मुझे ऐसा ही लगता है कि वह लड़का मेरे कारण ही उस स्कूल को छोड़ कर गया था। कारण मैं नहीं जानती लेकिन मुझे उसके लिए बहुत बुरा उस वक्त भी लगा था और आज भी लगता है। अब चलती हूॅं! स्कूल की और भी यादों के साथ अगली बार फिर से मुलाकात होगी तब तक के लिए मुझे जाने की इजाजत दो।
🙏🏻🙏🏻 बाय बाय 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💗💞💗
Radhika
09-Mar-2023 01:44 PM
Nice
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अदिति झा
03-Feb-2023 01:20 PM
Nice 👍🏼
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प्रत्यंगा माहेश्वरी
02-Feb-2023 11:30 PM
Very nice
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